एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद more info नहिं पाई॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
तज्ञमज्ञान – पाथोधि – घटसंभवं, सर्वगं, सर्वसौभाग्यमूलं ।
स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
शिव चालीसा के सरल शब्दों से भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।